मिर्च का असली तीखापन मापने को बनाई - “एआई जीभ”

Jitendra Kumar Sinha
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दुनिया भर में तीखे खाने के शौकीन हमेशा इस बात पर बहस करते रहते हैं कि कौन-सी मिर्च कितनी तीखी है, और किस स्तर की तीखापन इंसान सहन कर सकता है। अब इस काम को और सटीक, वैज्ञानिक और आसान बना दिया है चीन के वैज्ञानिकों ने, जिन्होंने विकसित की है एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित कृत्रिम जीभ, जो किसी भी भोजन का तीखापन लगभग इंसानों जितनी संवेदनशीलता से माप सकती है।

यह अनोखी ‘एआई जीभ’ बनाने की प्रेरणा एक सामान्य-सी लेकिन बेहद रोचक वैज्ञानिक प्रक्रिया से मिली कि मिर्च खाने पर दूध जलन कैसे शांत करता है?

ईस्ट चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने पाया कि दूध में मौजूद कुछ तत्व कैप्साइसिन (मिर्च में मौजूद तीखा तत्व) को बांधकर उसकी जलन कम कर देते हैं। इसी सिद्धांत पर आधारित होकर वैज्ञानिकों ने मिल्क पाउडर, ऐक्रेलिक एसिड और कोलीन क्लोराइड को मिलाकर एक नरम, लचीला और संवेदनशील जेल तैयार किया, जो बिल्कुल इंसानी जीभ की तरह तीखापन महसूस कर सकता है।

यह कृत्रिम जीभ एक प्रकार की जेल-आधारित संरचना है, जो मिर्च या किसी भी तीखे तत्व के संपर्क में आते ही उसमें मौजूद कैप्साइसिन का स्तर माप लेती है। इसका व्यवहार इंसानी जीभ में मौजूद रिसेप्टर्स की तरह होता है, जो तीखेपन को ‘दर्द’ के रूप में महसूस करता है।

शोधकर्ताओं के अनुसार यह तकनीक अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन इसके परिणाम बेहद सटीक और दोहराए जा सकने योग्य हैं।

वैज्ञानिकों ने इस एआई जीभ से आठ प्रकार की मिर्चों का परीक्षण किया और तीखापन मापने के लिए 0 से 70 तक का नया स्केल तैयार किया।  0 का अर्थ है बिल्कुल फीका या बिना तीखा और 70 का मतलब अत्यधिक तीखा, जिसे अधिकांश लोग सहन नहीं कर सकते। यह स्केल आम तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले स्कोविल यूनिट्स से अलग है और ज्यादा व्यावहारिक है, क्योंकि यह मशीन पर आधारित है और मानवीय त्रुटियों की गुंजाइश कम है।

इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका उपयोग अनेक क्षेत्रों में किया जा सकता है कि पैकेज्ड फूड कंपनियां मिर्ची या तीखे उत्पादों के बैच टेस्ट कर पाएंगी। उदाहरण स्वरूप चिप्स, चटनी, बिरयानी मसाला,  सब का तीखापन तय और एक जैसा। 

भविष्य में ऐसे रोबोट बन सकेंगे जो खाना चखकर उसकी तीव्रता बता सकें। रसोई में शेफ की सहायता कर सकें। होटल और प्रयोगशालाओं में गुणवत्तापरक जांच कर सकें। जैसे ब्लड-ग्लूकोज मीटर होता है, वैसे ही आने वाले समय में छोटी-सी मशीन आपके जेब में होगी, जिसे बस किसी डिश पर लगाइए और तुरंत जानिए खाना कितना तीखा है।

यह नवाचार सिर्फ एक वैज्ञानिक प्रयोग नहीं है, बल्कि खाने की दुनिया में क्रांति लाने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है। इससे न केवल खाद्य उद्योग में मानकीकरण बढ़ेगा, बल्कि आम लोगों को भी अपने स्वाद के अनुसार सही उत्पाद चुनने में आसानी होगी।



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